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लेखनी कहानी -17-Oct-2022 हरियाली तीज (भाग 17 )

                             
    शीर्षक।  :- हरियाली तीज
    
        हरियाली तीज का त्योहार सावन के महीने में मनाया जाता है बैसे भी सावन का महीना भी त्योहारौ का महीना कहलाता है जैसे हरियिली तीज नाग पंचमी रक्षावन्धन आदि बहचत से त्योहार है।

                         हमारे भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए वो पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और विधिवत पूजा-पाठ करती हैं। इसके साथ ही हरियाली तीज व्रत कथा का पाठ करती हैं। इसके साथ ही कुंवारी कन्याएं भी मनभावन पति के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस ब्रत को हरितालिका ब्रत के नाम से भी जाना जाता है।


                      इस त्योहार को मनाने के पीछे अनेक कथाये है हमारी  पोराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने दूसरे जन्म में हिमालय राज के घर माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना कर ली थी। यह सब उन्होने नारदजी के कथनानुसार किया था। गुजरते समय के साथ जब माता पार्वती विवाह योग्य हो गई तो पिता हिमालय शादी के लिए योग्य वर तलाशने लगे थे। एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के पास गए और उनकी चिंता सुनकर उन्होंने योग्य वर को पाने के लिए पार्वती से तपस्या करने के लिए कहा था।

                          माता पार्वती तो नारद की हलाह से प्रसन्न होगयी क्यौकि उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने की कामना पहले से ही कर रखी थीं। इसलिए भगवान शिव को पाने के लिए वो एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने का संकल्प लिया। वहां पर उन्होंने रेत से एक शिवलिंग बनाया और अपनी तपस्या करने लगीं। 

       पार्वती ने वही रहकर अन्न व जल का भी त्याग कर दिया था। एकांत जंगल में माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। जब पर्वतराज हिमालय को बेटी पार्वती के मन की बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। 

               जब भगवान शंकर अपनी बारात लेखर हिमालय राज के घर पहुँचे तब उनके साथ बारात में आये भूत प्रेत देखकर वह डर गये और एक बार तो  उनकी पत्नी ने शादी करने से मना कर दिया था बाद में नारदजी के समझाने पर वह राजी हुई थी।

            उसके बाद शिवजी ने अपना सुन्दर रूप धारण किया था जिसके परिणाम स्वरूप माता पार्वती और भगवान शिव की शादी संपन्न हुई। तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।

        उह समय से क्वारी कन्यायें इस ब्रत का पालन करती आरही है।इस दिन  से बेटिया अपने मायके आकर यह ब्रत करती है इस महीने में मल्हार और भी बहुतसे सावन के गीत गाये जाते है।

30  Days Festival Competition हेतु रचना

नरेश शर्मा " पचौरी "

02/11/2022

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2 Comments

Gunjan Kamal

03-Nov-2022 07:54 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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shweta soni

03-Nov-2022 01:04 PM

बहुत सुंदर 👌

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